रगों में बहते इस खून को ललकारने का समय दो ,
आंधी तुफानो में रहकर ,
दूर भगाओ अब के इन फिरंगियों को ,
अपने आप में इस आग की ज्वाला को जलने दो ,
देश में तुम हो इसका अहसास होने दो ।
रोती बिलखती आवाज़ से सने कानों को रुकने न दो ,
उन्ही आसुओ से सींच आंगन अपना महका दो ,
पल में जाती पल में बढती उस क्रांति की तरंग को बुझने न दो
देखो समय अपना है, देश हमारा है, इसे य़ू जाने न दो
देश में तुम हो उसका अहसास होने दो
द्रोही के मौके को दबोचना सीखो
बलिदान की लहर में बहना सीखो
क्रोध का दीपक एक कोने में जलने दो
राह में आती विपदाओं में हँसना सीखो
ऊँगली छोड़ देश के लिए चलना सीखो
देश में तूम हो इसका अहसास होने दो
गौरव कुलकर्णी
बारिश का मौसम कविता के लिए यहाँ क्लिक करें : बारिश का मौसम
आंधी तुफानो में रहकर ,
दूर भगाओ अब के इन फिरंगियों को ,
अपने आप में इस आग की ज्वाला को जलने दो ,
देश में तुम हो इसका अहसास होने दो ।
रोती बिलखती आवाज़ से सने कानों को रुकने न दो ,
उन्ही आसुओ से सींच आंगन अपना महका दो ,
पल में जाती पल में बढती उस क्रांति की तरंग को बुझने न दो
देखो समय अपना है, देश हमारा है, इसे य़ू जाने न दो
देश में तुम हो उसका अहसास होने दो
द्रोही के मौके को दबोचना सीखो
बलिदान की लहर में बहना सीखो
क्रोध का दीपक एक कोने में जलने दो
राह में आती विपदाओं में हँसना सीखो
ऊँगली छोड़ देश के लिए चलना सीखो
देश में तूम हो इसका अहसास होने दो
गौरव कुलकर्णी
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